काले चावल की खेती

काले चावल एक विशेष किस्म है जो अपने पोषक तत्वों और औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है। इसकी खेती भारत में धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है।

 विशेषताएं काले चावल में एंटीऑक्सिडेंट्स, फाइबर और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसका उपयोग स्वास्थ्यवर्धक आहार के रूप में किया जाता है।

जलवायु और मिट्टी काले चावल की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त है। दोमट या जलोढ़ मिट्टी इसे उगाने के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है।

बीज की तैयारी अच्छी गुणवत्ता वाले बीज का चयन करना महत्वपूर्ण है। बुवाई से पहले बीज को 24 घंटे पानी में भिगोना चाहिए।

बुवाई की विधि काले चावल की बुवाई जून से जुलाई के बीच की जाती है। बीज को 2-3 सेमी गहराई पर बोया जाता है।

सिंचाई और देखभाल नियमित सिंचाई और जल निकासी की सही व्यवस्था फसल की अच्छी पैदावार के लिए आवश्यक है। खरपतवार नियंत्रण भी जरूरी है।

उर्वरक और पोषण काले चावल की खेती में जैविक खादों का उपयोग फायदेमंद होता है। नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश जैसे तत्वों की आपूर्ति करनी चाहिए।

कटाई और उपज फसल लगभग 120-150 दिनों में तैयार हो जाती है। कटाई के बाद चावल को अच्छी तरह से सुखाना जरूरी है।

काले चावल के लाभ काले चावल में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो दिल और त्वचा के लिए फायदेमंद हैं। इसका बाजार मूल्य भी अन्य चावलों से अधिक होता है।

कृषि संबंधी ऐसे ही महत्वपूर्ण जानकारी के लिए भारतॲग्री वेबसाइट व्हिसिट करे।